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गिरिधर गदाधर चक्रधर गोपाल
गिरिधर गदाधर चक्रधर गोपाल माधव गरुड़-पति,गरुड़-गामी मुकुंद माखनहारी हिया।
गोपाल
श्री गुरु-गोपाल वंदना
सेवों श्री विट्ठलेश गुरु की चरण रज,सरन प्रतिपाल गोपाल पद बंदों मैं॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
गोपाल माई कानन चले सवारे
गोपाल माई कानन चले सवारे।छीकें कांधे बांधि दधि ओदन गोधन के रखवारे॥
परमानंद दास
आछे बने देखों मदन गोपाल
आछे बने देखों मदन गोपाल।बहुत फूल फूले नंद नंदन तुम को गूथूंगी माल॥
परमानंद दास
घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल
घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल।कौन जुगती कर भरों जमुना चल पर्यो हमारे ख्याल॥
परमानंद दास
नीकी खेली गोपाल की गैया
नीकी खेली गोपाल की गैया।कूकें देत ग्वाल सब ठाड़े यह जु दिवारी नीकी गैया॥
परमानंद दास
मज्जन करत गोपाल चौकी पर
मज्जन करत गोपाल चौकी पर।अति ही सुगंध फुलेल उबटनौ, विविध भांति सब सौंज, निकट धर॥
छीतस्वामी
बिन गोपाल बैरनि भई कुंजैं
बिन गोपाल बैरिनि भई कुंजैं।तब ये लता लगति अति सीतल, अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं॥
सूरदास
जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई
जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई।उठो तात प्रात भयो रजनी को तिमिर गयो
परमानंद दास
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते।अरे भैया ग्वाल लकुटिया टेकी अपने अपने कर के बलते॥
परमानंद दास
बाल-दसा गोपाल की सब काहू प्यारी
बाल-दसा गोपाल की सब काहू प्यारी।लै-लै गोद खिलावही जसुमति महतारी॥